सोचता हूँ
उसने किस खूँटी पर
टांगे होंगे अपने सपने
रास्ते पर खड़ा
पैसों को रुपये बनता रहा है
हर ठोकर को नकारता रहा है
मुझे आज गाडी में बैठा देखकर बोला
सलाम साहब
मैं चुप रहा कुछ देर
फिर उसे आठ आने दे दिए
उसने फिर कहा
सलाम साहब
सोचता हूँ
आठ आने से वो कौन सा
सपना खरीदेगा