देख रहा हूँ कूड़ा खुद को छांट रहा है; पॉलिथीन उठता है खुद को उल्टा करके अपने में से गीला कूड़ा निकाल देता है; फिर गीले कूड़े में से भी कुछ चीजें खुद उठकर चल देती हैं — धीरे धीरे तीन अलग अलग ढेर लग जाते हैं — मै बड़ी हैरत से यह देख रहा हूँ; कुछ समझ नहीं आता की तभी रेडियो की आवाज से नींद टूट जाती है; “मैं शिल्पा शेट्टी बोल रही हूँ ……… ” वाला विज्ञापन रेडियो पर चल रहा है…. “…..घर में दो अलग अलग डस्टबिन रखिये ……” ठीक से तो नहीं पता लेकिन शायद इसलिए की सपने में देश सुधर रहा था इसलिए मैं फिर सोने का उपक्रम करने लगता हूँ … बीवी आवाज देती है; “सपना ही देखते रहोगे या अब वापस असलियत मे लौटोगे ??”